Thursday, March 19, 2009

फ़िर एक छोटा सा प्रयास..




पुष्प जो लगा बालों मैं
तो किसी का श्रृंगार बन गया,
अगर गया किसी मंदिर मैं
तो पूजन का आधार बन गया,
धागे में पिरोया
तो किसी का सम्मान बन गया,,
और खुद को बिखेर कर
मुक्ति यात्रा का हमराह बन गया,,
पर हर इंसान को कहाँ
ऐसा सुख मिल पाता है,,
कोई गुलाब की तरह
सुशोभित होकर जीता है
और कोई कांटे की तरह
पुष्प को एकटक देखता है
और उसी की चाहत मैं
जहाँ से रुखसत हो जाता है


जीत_इन्दौरी

Wednesday, February 11, 2009

विश्वास



"भेज पांखुरी गुलाब की,
तुम सारा मधुमास दे गए...

एक प्रष्ठ ही पड़ा तुम्हारा,
तुम सारा इतिहास दे गए..

तुमसे कभी मिल नहीं पाया,
इसकी नहीं कोई शिकायत...

जितना दूर रहा तुमसे,
तुम उतना विश्वास दे गए... "




Monday, February 9, 2009

आपके बिना ........



"तन्हा रातें, क़यामत हे आपके बिना,,,
दिन मौत का फरमान लगता है,,,

एक बर्फ की चादर छा गई दिल में
बहार एक तूफान सा लगता है,,,,

कहीं डूबकर न रह जाये इसमें ,,,
यादों का सिलसिला सैलाब लगता है..

क्या सजे और कैसे सवरे जिंदगी,
आपके बिना रेशम भी कपास लगता है...

लोग अंजान से , शहर नया सा लगता है,
आपके बिना मौसम उदास सा लगता है...."


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Tanha Raaten kayaamat hai aapne bina,,,
din maut ka farmaan lagta hai....

ek barf ki chaadar chha gayi dil main
baahar ek tufaan sa lagta hai....

kahin doob kar na reh jaaye isme...
yaadon ka silsila sailaab lagta hai

kya saje aur kaise sanware zindgi...
aapke bin resham bhi kapaas lagta hai

log anjaane se,shahar naya sa lagta hai
aapke bin mausam udaas sa lagta hai..
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Sunday, September 21, 2008

" एक - लड़की "



"अधरों पर अन गिनत, फूलो की लाली,,,
हाथ में संजोये, पूजन की थाली,,,
मन में समेटे, खुशियाँ अपार,,,
तन पर लपेटे, चांदनी सा श्रृंगार,,

मंद-मंद मुस्कुराई सी एक लड़की,,,
हाँ, कल पास आयी थी एक लड़की.....

चेहरा कुदरती, आलोकित चिराग,,,
वो दिल पर कहर थी, या थी आफताब,,,

पाँव रखते ही छा गयी बहार,,,
मन से छट गया, तन्हा अन्धकार,,,

खुदा का करम, रहनुमाई सी लड़की,,,
हाँ, कल पास आयी थी एक लड़की,,,

हिरनी की तरह, लुभावनी चाल,,,
सावन की घटा से,बिखरे हुए बाल,,,

आँखें तराशी, हु-ब-हु प्रसून,,,
छटा बिखरी, मन बसा शकुन,,,

नजरे झुकी, शरमाई सी एक लड़की,,,
हाँ, कल पास आयी थी एक लड़की...

क्षितिज पर सागर सा, समतल ललाट,,,
मदमाता यौवन, भवरों की बाट,,,

सर से पाँव तक, नूर से भरी थी,,,
जन्नत से उतरी, कोई हूर की पारी थी,,

गागर में सागर, भर लायी थी एक लड़की,,,
हाँ, कल पास आयी थी एक लड़की..................."

Monday, September 8, 2008

***""नूर बरसेगा""***


***""नूर बरसेगा""***


तेरे रुखसार से जब नूर बरसेगा ,,,,


सुनहली चांदनी को कोन तर्सेगा,,,


तेरी जुल्फ के अंधियारे की,,,


कहीं पर जब बात होगी...


अमा की रात की वहाँ पर...


भला औकात क्या होगी...


तुम्हारे जलवों पर जब हर शख्स हर्षेगा..


सुनहली चांदनी को कोन तर्सेगा....


तुम्हारे पैर की पायल,,,


तनिक भी छनक जायेगी,,,


लता के गीत की मादक ,,,


भनक-सी उसमे आएगी,,,


तुम्हारे नयन चंचल से कहर बरसेगा,,,


सुनहली चांदनी को कोन तर्सेगा ...


जम्हाई गर जो तुम लोगी,,,


पुरवाई बहक जायेगी,,,


अंगडाई तुमने जो ली,,,


शरद क्या पास आएगी,,,,


"जीत" का व्यथित मन बहक जायेगा,,,


फीर सुनहली चांदनी को कोन तर्सेगा....


तेरे रुखसार से जब नूर बरसेगा ,,,,


सुनहली चांदनी को कोन तर्सेगा...